दोस्तों भारत के सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ग्रीस के राजा सेल्युकस से की लड़की हेलेना से बहुत प्यार करते थे। जब चन्द्रगुप्त ने हेलेना को पहली बार देखा तो उन्होंने हेलेना से शादी करने का निर्णय कर लिया था। दोस्तों हेलेना और चन्द्रगुप्त मौर्य सबसे पहले एक युद्ध के मैदान में मीले थे।

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सिकंदर महान के सेनापति सेल्यूकस निकेटर की बेटी का नाम हेलेना था़  एक दिन हेलेना ने चंद्रगुप्त को सात-सात सैनिकों के साथ तलवारबाजी करते देखा. एक साथ सातों उनके ऊपर वार करते और वह हंसते-हंसते उनके वारों को काट डालत़े  तभी वह उन्हें अपना दिल दे बैठी. एक तरह से चंद्रगुप्त और हेलेना की शादी यूनानी और भारतीय संस्कृति का मिलन थी और संदेश यह कि युद्ध पर प्यार भारी पड़ता है़ हेलेना सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर की बेटी थी़  चूंकि सिकंदर का कोई वारिस नहीं था, इसलिए उसकी मौत के बाद उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बांट लिया़  सेल्यूकस को साम्राज्य का पूर्वी हिस्सा प्राप्त हुआ, जिसमें भारत का उत्तर-पश्चिमी हिस्सा भी शामिल था़  सेल्यूकस की बेटी हेलेना एक अपूर्व सुंदरी थी, जिसे अपना बनाने की चाहत कई यूनानी नौजवान रखते थ़े  लेकिन हेलेना की आंखें तो किसी और को ढूंढ़ रही थीं और वह थे चंद्रगुप्त मौर्य. दरअसल बात उन दिनों की है, जब चंद्रगुप्त अपने गुरु चाणक्य की देख-रेख में वाहीक प्रदेश में युद्ध विद्या का अभ्यास कर रहे थ़े  वह अभी पाटलीपुत्र के राजा नहीं बने थ़े  एक दिन हेलेना ने देखा कि एक रोबीला और सुगठित शरीर वाला नौजवान एक साथ सात-सात सैनिकों से तलवार पर हाथ आजमा रहा है.  एक साथ सातों उसके ऊपर वार करते और वह हंसते-हंसते उनके वारों को काट डालता़  अपने वार को बार-बार खाली जाता देख वे सातों खीझ उठे और अब वे अभ्यास के लिए नहीं, बल्कि घातक वार करने लगे, लेकिन वह नौजवान तो अब भी हंसे जा रहा था और आसानी से उनके वारों को विफल कर रहा था़   यह नौजवान चंद्रगुप्त मौर्य था, जिसके सुंदर रूप, शालीन व्यवहार और तलवारबाजी के दावं-पेंच से हेलेना मंत्नमुग्ध होकर उन्हें अपना दिल दे बैठी़  हेलेना हमेशा चंद्रगुप्त को एक नजर देखने का बहाना ढूंढ़ने में लगी रहती. यहां तक कि उसने अपने विश्वस्त सैनिकों और दासियों को चंद्रगुप्त की दिनचर्या पर नजर रखने के लिए लगा दिया था. इस बीच चंद्रगुप्त चाणक्य की मदद से नंद वंश का नाश करने में सफल हो गये और उन्होंने उत्तर भारत में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया़ चंद्रगुप्त को इस बात की कोई भनक नहीं थी कि हेलेना उनसे प्यार करती है़   एक बार वह अपनी राज-व्यवस्था के सिलिसले में पाटलीपुत्र से वाहीक प्रदेश पहुंच़े  एक दिन वह अपने कुछ सैनिकों के साथ झेलम नदी के किनारे घोड़े पर बैठे घूम-फिर रहे थ़े   उन्होंने देखा कि कई सुंदर युवतियों के बीच एक युवती आराम फरमा रही है. चंद्रगुप्त को उसके बारे में जानने की इच्छा हुई़  वह अपने घोड़े से उतरकर दबे पांव आगे बढ़़े अब युवती का मुखड़ा उनके सामने था, जिसे देख कर चंद्रगुप्त को ऐसा लगा जैसे आकाश में अचानक चांदनी छिटक आयी हो़  उनका दिल हेलेन के गेसुओं में गिरफ्तार हो गया़   अब चंद्रगुप्त की दशा भी वैसी ही हो गयी, जैसी कल तक हेलेना की थी़  यह दो अजनबियों का अनोखा प्यार था़  वे मिलना तो चाहते थे, लेकिन मिलें कैसे? ऐसे में चंद्रगुप्त की मदद की उनके एक मित्र ने, जिन्होंने ऐसे कामों के लिए प्रशिक्षित रानी कबूतरी के जरिये हेलेना तक चंद्रगुप्त के प्यार का पैगाम भिजवाया़ इसमें चंद्रगुप्त ने अपना हृदय निकाल कर रख दिया था़  वह पैगाम पढ़ कर हेलेना की खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. चंद्रगुप्त का रोबीला रूप उसके सामने आ गया़  इसके जवाब में हेलेना ने लिखा, मैं तो सिर्फ आपकी अमानत हूं, आइए और मुझे ले जाइए़  पर मन भय से कांपता है कि कहीं हमारा प्यार मेरे पिता को स्वीकार होगा भी या नहीं. मुझे लगता है कि मेरे पिता हमारे मिलन के लिए तैयार नहीं होंगे, पर क्या सिर्फ एक बार, हमारी मुलाकात नहीं हो सकती है? कहते हैं कि अगर किसी को सच्चे दिल से प्यार किया जाये, तो सारी कायनात उसे एक करने में जुट जाती है़  यही इन प्रेमियों के साथ हुआ़ दरअसल, बेबिलोनिया से लेकर भारत तक सेल्यूकस निकेटर के साम्राज्य के स्थानीय क्षत्नप बगावत के बिगुल बजाने लगे थे, जिससे वह परेशान था़ इस बीच हेलेना बेबिलोनिया चली गयी़  चंद्रगुप्त की तो जैसे जिंदगी चली गयी़   क्षत्रपों की बगावत कुचलने के लिए सेल्यूकस को भारत में मदद की जरूरत थी और उसकी यह जरूरत तब सिर्फ चंद्रगुप्त ही पूरी कर सकते थ़े  उसने मदद मांगी और चंद्रगुप्त ने विद्रोहियों को दबाने में उसकी मदद की़  इस एहसान तले दबे सेल्युकस ने चंद्रगुप्त से पूछा, आप मेरे योग्य कोई सेवा बतायें, मैं तन-मन-धन से उसे पूरा करने की कोशिश करूंगा़ चंद्रगुप्त ने कहा, भगवान की कृपा से मेरे पास सब कुछ है. बस केवल एक चीज नहीं है, लेकिन वह आपके पास है. अगर मैं वह मांगूं तो क्या आप दे सकते हैं. समझिए, जिंदगी का सवाल है़   सेल्यूकस ने कहा, सम्राट! अगर यह आपकी जिंदगी का सवाल है, तब तो मैं इसे मौत की कीमत पर भी आपके हवाले कर दूंगा़  चंद्रगुप्त ने बड़ी शालीनता से कहा, अगर मैं आपकी बेटी हेलेना का हाथ मांगूं तो क्या आप स्वीकार करेंगे? सेल्यूकस ने कहा, मुझे हेलेना का हाथ आपके हाथ में देने में कोई गुरेज नहीं, लेकिन उसकी रजामंदी तो जाननी होगी़   वह सोच रहा था कि उसकी बेटी किसी हिंदुस्तानी को अपने शौहर के रूप में अपनाने को शायद राजी न हो, लेकिन तब उसे आश्चर्य हुआ, जब हेलेना ने चंद्रगुप्त के साथ विवाह के प्रस्ताव को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया़  इतिहासकार लिखते हैं कि चंद्रगुप्त भव्य बारात लेकर हेलेना से विवाह करने पहुंचा था़  |
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 विवाह के बाद चंद्रगुप्त हेलेना को लेकर पाटलीपुत्र आ गये. यही हेलेना बिंदुसार की सौतेली मां बनी़  एक तरह से चंद्रगुप्त और हेलेना की शादी यूनानी और भारतीय संस्कृति का मिलन थी और संदेश यह कि युद्ध पर प्यार भारी पड़ता है़

हेलेना ने जब चन्द्रगुप्त से शादी की थी तो वह हेलेना के प्यार में इतने खो गए कि अखण्ड भारत बनाने के सपने को भी भूल गए थे और अपना सब कुछ हेलेना पर लुटाने लगे तब चाणक्य ने उनको अखण्ड भारत का सपना दिखाया था।


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