पौराणिक कथाओं में स्त्रियों को मासिक धर्म आने का कारण देवराज इंद्र को बताया गया है | ऐसा माना जाता है कि इंद्र के श्राप के कारण ही ऐसा हुआ था | आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में |

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एक बार स्वर्गलोक पर दैत्यों ने धावा बोल दिया दिया और देवराज इंद्र से उनका सिंघासन छीन लिया गया |देवराज इंद्र इसके समाधान के लिए ब्रह्माजी के पास पहुंचे | ब्रह्मा ने इंद्र से कहा कि वे भूलोक जाकर किसी परमज्ञानी मनुष्य की सेवा करें, जिसके बाद उन्हें स्वर्ग दोबारा प्राप्त हो जाएगा | देवराज ने ऐसा ही किया और एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा में जुट गये |



उस परमज्ञानी मनुष्य की माता एक दैत्य ही थीं इसलिए इंद्र जो भी पूजा सामग्री उपयोग करते वे सभी अनजाने में असुरों को ही प्राप्त हो रही थीं | जब देवराज इंद्र को इस सत्य का ज्ञान हुआ तो वे क्रोध से भर उठे और उस ब्रह्मज्ञानी मनुष्य की हत्या कर दी |इंद्र को ब्रह्म हत्या का घोर पाप लगा | इस पाप से मुक्ति के लिए उन्होंने सहस्त्रों वर्ष तक भवगान श्री हरि विष्णु की तपस्या की | भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर देवराज इंद्र को सुझाव दिया कि वे इस पाप को पृथ्वी, जल, पेड़ और स्त्रियों में बाँट सकते हैु लेकिन इस पाप के एवज में उन्हें सभी को कुछ वरदान भी देना होगा |


देवराज ने पृथ्वी को श्राप देने के बाद उन्होंने वरदान दिया कि चाहे जितनी चोट की जाए पृथ्वी के घाव पुनः भर जाएँगे | पेड़ों को श्राप दिया लेकिन वरदान में उन्होंने कहा कि पेड़ पौधे स्वयं को कभी भी पुनः जीवित कर सकेंगे | जल को वरदान दिया कि वह पृथ्वी पर उपस्थित सभी वस्तुओं को स्वच्छ कर सकेगा | स्त्रियों को इंद्र ने मासिक धर्म का श्राप दिया लेकिन इसके एवज में उन्होंने स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा अधिक रति आनंद प्राप्त होने का वरदान भी दिया | आगे भी ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए कृपया हमें फॉलो करें |