इनका जन्म 10 अगस्त 1963 में यूपी से एक गोहरा नाम के गांव में हुआ था, लेकिन जन्म के साथ ही उनके साथ जातिगत मतभेद होना स्टार्ट हो गया था। इसके पश्चात 11 वर्ष की उम्र में ही फूलन देवी के घर वालों ने उनकी विवाह करवा दिया, लेकिन फूलन देवी के पति और उनके परिवार के प्रताड़ना से फुलन देवी तंग आ चुकी थी और वह ससुराल छोड़कर अपने पिता के पास वापस आई और मजदूरी में पिता का हाथ बढ़ाने लगी।
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लेकिन इसके बाद जिंदगी में बहुत बड़ी घटना घटित हुई गांव के कुछ लोगों ने मिलकर फूलन देवी का बलात्कार कर दिया और फूलन देवी अपने लिए न्याय के लिए दर-दर भटकने लगे, लेकिन देश के कानून ने उनकी एक बात नहीं सुनी, फिर इसका बदला लेने के लिए उन्होंने हथियार उठाने का मन बनाया।
फिर फूलन देवी की मुलाकात विक्रम मल्लाह से हुई। इन दोनों ने मिलकर डाकुओं का संगठन तैयार किया और फूलन देवी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं में आने लगे अपना बदला लेने के लिए उन्होंने 1981 को जिन लोगों ने उनका बलात्कार किया था। उनकी हत्या कर दी। इसके बाद पूरे चंबल में फूलन देवी का खौफ आ गया और सरकार ने फूलन देवी को पकड़ने का फरमान जारी किया, लेकिन पुलिस फूलन देवी को पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाई।
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और 1983 की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने फूलन देवी को सरेंडर करने के लिए बोला। उससे पहले गवर्नमेंट से फूलन देवी ने कुछ मांगे रखी टैली उनकी किसी भी साथी को मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा और दूसरी उनके किसी भी शादी को 8 वर्ष से ज्यादा जेल में नहीं रखा जाएगा और सरकार ने फूलन देवी की सारी शर्तें मान ली।
मगर 11 वर्ष तक फूलन देवी को बिना कोई कैसे चलाएं जेल के अंदर रखा गया। जिसके पश्चात 1994 को समाजवादी सरकार की और सरकार ने फूलन देवी को रिहा करवा दिया और 1996 में समाजवादी पार्टी ने फूलन देवी को अपनी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए बोला और फूलन देवी मिर्जापुर सीट से संसार बनने में सफल हुई और दिल्ली पहुंच गई।
इसके पश्चात 2001 में शेर सिंह राणा ने फूलन देवी के निवास में फूलन देवी की हत्या कर दी और कहा कि ये सर्वेणो की मौत का बदला है, लेकिन कई जगह में फूलन देवी की हत्या को राजनीतिक षड्यंत्र भी माना गया। इस तरह से फूलन देवी की जिंदगी का अंत हो गया और अपनी एक स्टोरी हो। हिंदुस्तान में छोड़ गई जानकारी के लिए आपको बताना चाहते है, कि फूलन देवी पर बैंडिट क्वीन नाम की फिल्म भी बन चुकी है। जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था, लेकिन इस फिल्म से फूलन देवी को आपत्ति होने की वजह से इस फिल्म को सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया।